
बिहार की सियासत में एक बार फिर जबरदस्त पोलिटिकल मसाला आ गया है। इस बार मुद्दा है — ‘वोट चोरी’। हां, वही वोट जिसे डालने के लिए आधे लोग छुट्टी लेकर लाइन में लगते हैं, अब वही वोट कट रहे हैं, जुड़ रहे हैं, और आरोपों में बंट रहे हैं।
Election Commission: “हम तो सबके हैं!”
चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कह दिया कि हम न पक्ष में हैं, न विपक्ष में — हम तो संविधान में हैं!
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन हमसे होता है, फिर भेदभाव का सवाल ही नहीं उठता।” लेकिन विपक्ष कह रहा है — “Sir, theory अच्छी है, ground reality चाय पी रही है उन लोगों के साथ जो ‘मृत’ घोषित हो चुके हैं!”
राहुल गांधी ऑन रोड: वोटर अधिकार यात्रा शुरू
राहुल गांधी ने सासाराम से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की है, और कहा, “बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर चुनाव चोरी कर रहे हैं।”
16 दिन, 1300 किलोमीटर, 20+ जिले और एक ही नारा: “वोट है तो लोकतंत्र है!”
उनका कहना है कि एसआईआर यानी Special Intensive Revision एक “साज़िश” है जिससे नए वोटर जोड़कर पुराने वोट काटे जा रहे हैं। इस पर एक चुटीला सवाल: “सर, क्या ये गिनती गणित के ट्यूशन से हो रही है?”
तेजस्वी यादव बोले: चाय पी हमने ‘मृतकों’ के साथ
तेजस्वी यादव तो इस मुद्दे में बॉलीवुड फ्लेवर ले आए। बोले, “जिन्हें मृत बताया गया, हमने उनके साथ चाय पी है।”
मतलब अब चुनाव से पहले ज्योतिषी नहीं, चायवाला बनो — तभी असली वोटर पहचान पाओगे!

लालू यादव की एंट्री: ‘एसआईआर हटाओ, लोकतंत्र बचाओ!’
लालू यादव भी पीछे नहीं। उन्होंने साफ कहा — “हम एसआईआर के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ेंगे।” इस सियासी सीरीज का नाम होना चाहिए — ‘बिहार फाइट्स बैक: Return of the Ballot’
जनता बोले — वोट कटे तो राशन भी कटेगा क्या?
तेजस्वी का तर्क था कि जब वोटर लिस्ट से नाम कटता है तो फिर पेंशन, राशन, पहचान सब खतरे में। मतलब अब आधार से ज़्यादा ज़रूरी बन चुका है वोटर ID, वो भी Valid वाली!
रोटी रिव्यू (1974): जब अपराधी बना मास्टरजी और पब्लिक बन गई पागल
